दुख भी कभी कभी
मौन होकर
मचाती हैं शोर
दुख ?
किस बात की दुख ?
कोई मायने हैं इस दुख का ?
मौन होकर
मचाती हैं शोर
दुख ?
किस बात की दुख ?
कोई मायने हैं इस दुख का ?
दुखों को पालने से अच्छा हैं
उसे चुपके से टपक कर बहने देना
ज़िंदगी में और भी ढेर काम हैं यारा
ग़मों को नहीं बनने देना हैं दीवार !
27 – 11- 2012
उसे चुपके से टपक कर बहने देना
ज़िंदगी में और भी ढेर काम हैं यारा
ग़मों को नहीं बनने देना हैं दीवार !
27 – 11- 2012
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